हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,नजफ अशरफ केंद्रीय कार्यालय मरजय ए मुस्लिमीन हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा अलहाज हाफिज़ बशीर हुसैन नजफी ने स्वीडन में मुसलमानों के( मुकद्देसात) पवित्र स्थानों के अपमान और अपवित्रता पर कड़ा रुख अपनाते हुए स्वीडन की सरकार और वहां के लोगों को संबोधित करते हुए अपना निंदा बयान जारी किया हैं।
बयान में कहा गया है कि पिछले दिनों जब कुछ अज्ञानी और सच्चाई के दुश्मनों ने कुरआन शरीफ और हमारे धार्मिक का दुरुपयोग किया तो बुद्धिजीवों को इस बात से आगाह कराते हैं कि ..
(1)बिना किसी( शक व शुबहा) संदेह के, लाखों लोगों की भावनाओं को चोट पहुंचाना, इसका दुरुपयोग करना, इसका अपमान करना, मानवाधिकारों और मानव स्वतंत्रता का हिस्सा नहीं है ,स्वतंत्र राय का मतलब दूसरों का सम्मान करना भी हैं।
2: किताबों को जलाने वाले अपने को बेहतरीन समाज का सदस्य कहलाते हैं अफसोस हैं समाज कहने वाले समाजों को याद रखना चाहिए कि इतिहास संस्कृति का सबसे बुरा दौर था और ऐसा करने वाले इतिहास के सबसे बड़े अपराधी हैं।
3: किसी भी कौम के प्रतीक और पवित्र किताब को जलाना उस कौम के खिलाफ युद्ध की घोषणा है, यह बर्बरता के साथ साथ आतंकवाद का कार्य में आता हैं।
4: यह हमारे लिए और ज़्यादा तकलीफ देह की बात है कि यह काम सियासत के लिए किया गया इस आपराधिक कृत्य को अंजाम देना यह राजनीति का निकृष्टतम शोषण और उसका बुरा रूप हैं।
5: इसमें कोई शक नहीं है कि स्वीडिश सरकार अपनी स्वतंत्रता के प्रतीकों जैसे मुल्क के परचम और दूतावासों के दुरुपयोग को अस्वीकार्य मानती हैं,फिर वह किस तरह मुसलमानों की सबसे बड़ी अलामत का अपमान करने वालों के कार्य से सहमत हैं।
ولا حول ولا قوۃ الا باللہ العلی العظیم
मरजय ए मुस्लिमीन हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा अलहाज हाफिज़ बशीर हुसैन नजफी